
🇮🇳 –चौधरी शौकत अली चेची
स्वतंत्रता दिवस का महत्व
15 अगस्त का दिन भारत के इतिहास का वह पवित्र क्षण है, जब देश ने सदियों की गुलामी की जंजीरों को तोड़कर आजादी की सांस ली। यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उन अनगिनत बलिदानों का प्रतीक है, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
भारत ने लगभग दो सौ वर्षों तक ब्रिटिश शासन का बोझ झेला। अंग्रेजों के शासनकाल में भारत की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ। लाखों लोगों को दमन, कर, अकाल और गरीबी का सामना करना पड़ा। ऐसे समय में हमारे पूर्वजों ने, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति से हों, एकजुट होकर आजादी के लिए संघर्ष किया।

आजादी का ऐतिहासिक क्षण
14 अगस्त 1947 की रात, जब पूरी दुनिया सो रही थी, भारत एक नए युग में प्रवेश कर रहा था। मध्यरात्रि को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” भाषण के साथ स्वतंत्र भारत की घोषणा की। परंतु इस खुशी के साथ ही बंटवारे का दर्द भी था, जिसने करोड़ों परिवारों को विस्थापन, हिंसा और विभाजन की त्रासदी दी।
महात्मा गांधी इस ऐतिहासिक क्षण में दिल्ली में नहीं थे। वे बंगाल के नोआखली में हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे। उनकी सोच थी कि आजादी का सही मतलब तभी है जब देश में भाईचारा और शांति कायम हो।

स्वतंत्रता दिवस की परंपराएं
स्वतंत्रता दिवस पर भारत के राष्ट्रपति एक दिन पहले शाम को राष्ट्र को संबोधित करते हैं। 15 अगस्त को प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इसके बाद राष्ट्रगान गाया जाता है और वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
स्कूल, कॉलेज, सरकारी और निजी संस्थानों में ध्वजारोहण, सांस्कृतिक कार्यक्रम, देशभक्ति गीत और परेड का आयोजन होता है। यह दिन न केवल उत्सव का, बल्कि आत्मनिरीक्षण का भी होता है – हम अपने देश के लिए क्या कर रहे हैं और भविष्य में क्या करेंगे।
मुस्लिम समुदाय का योगदान – इतिहास के पन्नों से
स्वतंत्रता संग्राम में सभी समुदायों का योगदान अमूल्य रहा है। मुस्लिम समुदाय का योगदान विशेष उल्लेखनीय है, जो अक्सर इतिहास की मुख्य धारा में पर्याप्त रूप से नहीं बताया जाता।
- 1498 से 1947 तक – मुसलमानों ने कई आंदोलनों और क्रांतियों में सक्रिय भागीदारी की।
- 1772 – शाह अब्दुल अजीज रहमतुल्लाह अलैह ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ फतवा देकर राजनीतिक जागृति पैदा की।
- 1857 की क्रांति – मंगल पांडे की क्रांति से प्रेरित होकर हैदर अली और टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों को कई बार मात दी। टीपू सुल्तान को “शेर-ए-मैसूर” कहा जाता है, जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते शहादत पाई।
- बहादुर शाह जफर – अंतिम मुगल सम्राट, जिन्होंने 1857 की क्रांति का नेतृत्व किया और हार के बाद निर्वासन झेला।
- गदर पार्टी (1913) – बरकतुल्लाह भोपाली और उनके साथियों ने विदेश में रहकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ नेटवर्क बनाया।
- खान अब्दुल गफ्फार खान – “सरहदी गांधी” के नाम से प्रसिद्ध, जिन्होंने “खुदाई खिदमतगार” आंदोलन चलाया।

महान मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी
इतिहास में मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों की सूची लंबी है:
टीपू सुल्तान, नवाब सिराजुद्दौला, मौलाना शिब्ली नोमानी, बेगम हजरत महल, बाई अम्मा, शाह वली उल्लाह, सैयद अहमद शहीद, मौलाना विलायत अली, मौलवी लियाकत अली, हाजी इमदादुल्लाह, मौलाना कासिम ननोतवी, मौलाना महमूद हसन, मौलाना अबुल कलाम आजाद, मौलाना हुसैन अहमद मदनी, हकीम अजमल खान, मौलाना मोहम्मद अली जौहर, हसरत मोहानी, अशफाक उल्ला खान, बैरिस्टर आसिफ अली, मौलाना अताउल्लाह शाह बुखारी, अब्दुल कयूम अंसारी, और सैकड़ों अन्य।
दिल्ली के इंडिया गेट पर अंकित 13,220 शहीदों के नामों में मुस्लिम नामों की संख्या उल्लेखनीय है। यह दर्शाता है कि स्वतंत्रता संग्राम में यह समुदाय किसी भी रूप से पीछे नहीं था।
वीरता की मिसाल – हवलदार अब्दुल हमीद
1965 के भारत-पाक युद्ध में हवलदार अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानी सेना के 8 टैंकों को नष्ट कर दिया। इस अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। आज भी सेना के इतिहास में उनका नाम गर्व से लिया जाता है।
राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक योगदान
मुस्लिम समाज ने राजनीति, शिक्षा, विज्ञान, कला और उद्योग में भी देश को मजबूत किया।
- राजनीति – डॉ. जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति पद संभाला। कई राज्यों में मुस्लिम मुख्यमंत्री रहे, जैसे बरकतुल्लाह खान (राजस्थान), मोहम्मद यूनुस और अब्दुल गफूर (बिहार), मोहम्मद कोया (केरल) आदि।
- उद्योग और सेवा – अजीम प्रेमजी ने शिक्षा और स्वास्थ्य में अरबों रुपये दान किए।
- संकट में सहयोग – 1962 भारत-चीन युद्ध में हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली ने 5 टन सोना दिया, जिसकी कीमत आज अरबों रुपये है। कोविड-19 महामारी में सलमान खान, आमिर खान, शाहरुख खान और सोनू सूद जैसे सितारों ने जनसेवा की।
अनेकता में एकता – भारत की आत्मा
भारत एक विशाल गुलदस्ता है, जिसमें अलग-अलग धर्म, भाषाएं और संस्कृतियां हैं। यही विविधता हमारी ताकत है। आजादी का यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें हर तरह की नफरत और भेदभाव छोड़कर एक-दूसरे के साथ मिलकर रहना चाहिए।
आधुनिक भारत में स्वतंत्रता का अर्थ
आजादी का मतलब केवल विदेशी शासन से मुक्ति नहीं है। आजादी का असली अर्थ है –
- भ्रष्टाचार से मुक्त शासन
- सबके लिए समान अवसर
- शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की गारंटी
- सामाजिक सौहार्द और भाईचारा
- पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा
हम सभी को यह सोचना होगा कि क्या हम अपने शहीदों के सपनों का भारत बना पाए हैं।

देशवासियों के लिए संदेश
“ऐ भारत के लोगो, जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी” – यह गीत हमें याद दिलाता है कि हमें केवल जश्न ही नहीं मनाना, बल्कि देश की तरक्की में योगदान भी देना है।
गंदी राजनीति, जातीय और धार्मिक भेदभाव को खत्म कर, हम सभी को एकजुट होकर तिरंगे की शान बनाए रखनी चाहिए। “जय जवान, जय किसान” केवल नारा नहीं, बल्कि जीवन का संकल्प होना चाहिए।

15 अगस्त 2025, 79वां स्वतंत्रता दिवस
15 अगस्त 2025 को भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि आजादी बड़ी कीमत पर मिली है। हमें अपने पूर्वजों के बलिदानों का सम्मान करते हुए एक समृद्ध, समान और सौहार्दपूर्ण भारत के निर्माण के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।
लेखक: चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष – किसान एकता (संघ) एवं पिछड़ा वर्ग, उत्तर प्रदेश सचिव – समाजवादी पार्टी है।
कानूनी डिस्क्लेमर:
इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इसमें उल्लिखित ऐतिहासिक तथ्य विभिन्न सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित हैं और किसी भी व्यक्ति, संस्था या समुदाय की मानहानि करने का उद्देश्य नहीं है। पाठकों से आग्रह है कि इसे केवल जागरूकता और ऐतिहासिक जानकारी के रूप में लें।