विश्व लंग कैंसर दिवस 2025: धूम्रपान नहीं, अब वायु प्रदूषण और खानपान भी बना बड़ा खतरा


फेफड़ों के कैंसर का बदलता चेहरा: विशेषज्ञों की चेतावनी – अब सिर्फ स्मोकिंग नहीं, प्रदूषण, चूल्हा धुआं और फूड केमिकल भी जिम्मेदार

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी” / ग्रेटर नोएडा
विश्व लंग कैंसर दिवस के अवसर पर फोर्टिस हॉस्पिटल्स ग्रेटर नोएडा और नोएडा ने फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते मामलों और इसके पीछे बदलते कारणों पर गंभीर चिंता जताई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी अब केवल धूम्रपान करने वालों तक सीमित नहीं रही, बल्कि वायु प्रदूषण, चूल्हे का धुआं, पैसिव स्मोकिंग और भोजन में मिलाए जा रहे केमिकल भी बड़े कारक बनकर उभरे हैं।

डॉ. तनुश्री गहलोत, एडिशनल डायरेक्टर, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, फोर्टिस ग्रेटर नोएडा ने बताया, “हर महीने 15–20 नए लंग कैंसर के केस सामने आ रहे हैं। चिंता की बात यह है कि इनमें से करीब 20% मरीज कभी धूम्रपान नहीं करते। महिलाओं और 40 से 60 वर्ष के आयु वर्ग में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।” उन्होंने एडेनोकार्सिनोमा को नॉन-स्मोकर्स में तेजी से उभरता हुआ कैंसर बताया, जिसके पीछे मुख्यतः इनडोर स्मोक, प्रदूषण और भोजन में प्लास्टिक व प्रिज़र्वेटिव्स का सेवन जिम्मेदार है।

डॉ. ज्योति आनंद, सीनियर कंसल्टेंट – मेडिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस नोएडा ने कहा कि “लंग कैंसर अब आधुनिक जीवनशैली और खराब पर्यावरण की देन बन चुका है। महिलाओं और युवाओं में भी इसके केस सामने आ रहे हैं। वायु प्रदूषण कैंसर को जन्म देने वाले म्यूटेशन को ट्रिगर करता है, जिससे यह बीमारी नॉन-स्मोकर्स को भी जकड़ रही है।”

डॉक्टर्स ने यह भी बताया कि बीमारी का जल्दी पता चलना इलाज की सफलता के लिए अहम है। दुर्भाग्यवश, 80–90% मरीज तब अस्पताल पहुंचते हैं जब कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच चुका होता है। शुरूआती लक्षण जैसे लगातार खांसी, सांस फूलना, सीने में दर्द, थूक में खून और अचानक वजन घटना – इन सभी को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

उपचार के विकल्पों पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. ज्योति ने बताया कि शुरुआती स्टेज में सर्जरी और SBRT (स्टीरियोटैक्टिक बॉडी रेडिएशन थेरेपी) से इलाज संभव है। जबकि एडवांस स्टेज में कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसे सिस्टमिक ट्रीटमेंट की जरूरत होती है।

फोर्टिस की अपील:
इस विश्व लंग कैंसर दिवस पर फोर्टिस अस्पताल्स ने आमजन से अपील की है कि वे धूम्रपान और गुटखा सेवन से दूरी बनाएं, घरों में चूल्हे के धुएं से बचाव करें, प्लास्टिक और रसायनयुक्त भोजन से परहेज करें तथा वायु प्रदूषण के प्रति जागरूकता लाएं। , डॉक्टरों ने यही संदेश दिया कि समय पर जांच, सतर्कता और जीवनशैली में बदलाव से लंग कैंसर जैसे गंभीर रोग से बचा जा सकता है।

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