
मौहम्मद इल्यास “दनकौरी” / गौतमबुद्धनगर
ग्रेटर नोएडा शहर के सेक्टर चाई-4 स्थित आदर्श विहार सोसाइटी (अफॉर्डेबल बीएचएस-11) कभी “सपनों का आशियाना” मानी जाती थी, लेकिन आज यह बदहाली और उपेक्षा की तस्वीर बन चुकी है। करीब 750 फ्लैट्स वाली इस बहुमंजिला सोसाइटी का निर्माण वर्ष 2009 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा लो-बजट आवास योजना के तहत किया गया था। उस समय प्राधिकरण ने “वन टाइम मेंटेनेंस” का वादा भी किया था, जो आज तक एक अधूरा सपना ही बना हुआ है।
बजट आया, लेकिन राहत नहीं
प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ नरेंद्र भूषण के कार्यकाल में आदर्श विहार सोसाइटी की मरम्मत व सुधार कार्य के लिए करीब 1 करोड़ 95 लाख रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था, लेकिन सोसायटीवासियों को राहत मिलने से पहले ही बजट को रद्द कर दिया गया। इसके बाद से सोसाइटी की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती चली गई।

साफ-सफाई और सुरक्षा में जीरो व्यवस्था
आज स्थिति यह है कि सोसाइटी में नालियां टूटकर मिट्टी में मिल चुकी हैं, बची-खुची नालियों की सफाई नियमित नहीं हो पाती। झाड़ियां इतनी ऊंची हो चुकी हैं कि जहरीले जीव-जंतुओं का बसेरा बन चुकी हैं। स्ट्रीट लाइट्स टूटी पड़ी हैं, और सड़कों पर इतने गहरे गड्ढे हैं कि दुर्घटनाओं का खतरा हमेशा बना रहता है।

पानी की लाइनें और सीवर भी जर्जर हालत में हैं — पाइप टूटे हुए हैं और पानी लगातार बहता रहता है। सीवर चौक होने की समस्या आम हो गई है। रंगाई-पुताई पिछले 15 सालों में एक बार भी नहीं हुई, जिससे इमारतें बदरंग और उपेक्षित नजर आती हैं।
चोरी और असुरक्षा बनी आम बात
सुरक्षा की हालत इतनी खराब है कि पानी की टंकियों से पाइप और वॉल्व तक चोरी हो चुके हैं। सोसाइटी में रह रहे लोग डर और परेशानी के बीच जीने को मजबूर हैं।

निवासियों की आवाज अनसुनी
आरडब्ल्यूए अध्यक्ष प्रमोद नागर का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद प्राधिकरण इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। वहीं सोसाइटी निवासी मनोज कुमार उपाध्याय कहते हैं,
“ग्रेटर नोएडा शहर में घर तो मिल गया, लेकिन न पानी की व्यवस्था है, न सफाई की और न ही सुरक्षा की। सपना तो था एक बेहतर जिंदगी का, लेकिन हकीकत बहुत कड़वी है।”

प्राधिकरण की उदासीनता पर सवाल
यह कोई अकेली सोसाइटी नहीं है। इसी योजना के तहत सेक्टर बीटा, स्वर्ण नगरी और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की अन्य सोसाइटियों में भी ऐसे ही हालात हैं। सवाल उठता है कि जब एक बार बजट पास हुआ था तो काम क्यों नहीं हुआ? और अगर फ्लैट आवंटित कर दिए गए, तो रखरखाव की जिम्मेदारी कौन निभाएगा?

आदर्श’ नाम दी गई सोसाइटी आज विडंबनाओं का शिकार
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा ‘आदर्श’ नाम दी गई सोसाइटी आज विडंबनाओं का शिकार है। रहने वाले लोग सुविधा की जगह शिकायतें लेकर घूम रहे हैं, और प्राधिकरण की चुप्पी लगातार सवालों के घेरे में है। क्या आदर्श विहार एक बार फिर “आदर्श” बन पाएगा, या यह सरकारी वादों की बलि चढ़ता रहेगा?