मोहर्रम की अकीदत और बहादुरी का संगम बना दनकौर, अलमदार जुलूस में दिखे हैरतअंगेज करतब

मर्सियों की सदा और पटाबाजी की गूंज से गूंज उठा कस्बा, पुलिस प्रशासन रहा चाक-चौबंद

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/गौतमबुद्धनगर
मोहर्रम के मौके पर दनकौर कस्बा मंगलवार को आस्था, जज्बे और बहादुरी का जीवंत प्रतीक बन गया। ताजियों की कड़ी में निकाले गए अलमदार (अलम सद्दों) के जुलूस ने कस्बे को पूरी तरह भाव-विभोर कर दिया। इस पारंपरिक जुलूस की शुरुआत भिश्तियान अखाड़े से हुई।

जुलूस भिश्तियान अखाड़े से निकलकर तेलियान अखाड़ा, धनौरी रोड अखाड़ा, मेहंदी अखाड़ा मोहल्ला पेंठ होते हुए ऊंची दनकौर के पंचायती अखाड़ा पहुंचा, जहां से आगे बढ़कर यह कुरेशियां अखाड़े में समाप्त हुआ। कुरेशियां अखाड़े में पटाबाजी का ज़ोरदार प्रदर्शन हुआ, जिसे देखने के लिए भारी भीड़ जुटी रही।

सभी अखाड़ों में उस्ताद खलीफा और पट्ठों ने शानदार करतबों से लोगों को रोमांचित कर दिया। ‘बन्नेटी घूमना’, ‘चक्कर घूमना’, ‘गोला घूमना’, ‘मुसल घूमना’ और ‘बावली खेलना’ जैसे पारंपरिक खेलों ने माहौल को कर्बला की बहादुरी और बलिदान की याद से भर दिया।

इस दौरान इमाम हुसैन और उनके जांबाज साथियों की शहादत को याद करते हुए मर्सिये और नौहे भी पढ़े गए, जिनकी सदा ने माहौल को गमगीन और श्रद्धामय बना दिया।

दनकौर पुलिस की सतर्कता भी उल्लेखनीय रही। पूरे जुलूस मार्ग पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा और पुलिस के आला अधिकारी लगातार निगरानी करते दिखाई दिए।

कासिफ हुसैन अब्बासी, स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा,
“यह सिर्फ मजहबी आयोजन नहीं, हमारी साझा विरासत और साहसिक परंपरा का जीता-जागता प्रमाण है।”

दनकौर का यह मोहर्रम जुलूस जहां एक ओर अकीदत और बहादुरी की मिसाल बना, वहीं शांतिपूर्ण और अनुशासित आयोजन ने सौहार्द और व्यवस्था की बेहतरीन मिसाल पेश की।


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