16 साल की प्रतीक्षा खत्म: ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 10 आवंटियों को मिला प्लॉट पर कब्जा, 100 करोड़ की जमीन मुक्त

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सख्ती से सेक्टर दो में बना विकास का रास्ता, अवैध कब्जा हटाने में पांच घंटे चला अभियान

,    मौहम्मद इल्यास-“दनकौरी”/  ग्रेटर नोएडा
्रेटर नोएड वेस्ट के सेक्टर-2 में 16 वर्षों से अपने आवंटित प्लॉट का इंतजार कर रहे 10 आवंटियों की उम्मीदें आखिरकार पूरी हो गईं। सोमवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की टीम ने एक सख्त और सुनियोजित कार्रवाई में करीब 10 हजार वर्ग मीटर भूमि से अवैध कब्जा हटाकर आवंटियों को उनके प्लॉट पर पजेशन दिला दिया। साथ ही सेक्टर की 9 और 18 मीटर चौड़ी सड़कें व ग्रीन बेल्ट के विकास का मार्ग भी साफ हो गया है।

इस भूमि की बाजार कीमत 100 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। अतिक्रमण हटाने की यह कार्रवाई करीब पांच घंटे तक चली, जिसमें तीन जेसीबी और चार डंपरों का इस्तेमाल किया गया।

लंबे संघर्ष का सुखद अंत

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की आवासीय योजना के अंतर्गत इन आवंटियों को सेक्टर-2 के डी ब्लॉक में भूखंड आवंटित किए गए थे, लेकिन वर्षों से अतिक्रमण के कारण उन्हें पजेशन नहीं मिल सका। परेशान होकर आवंटी हाल ही में प्राधिकरण के सीईओ एन. जी. रवि कुमार से मिले। सीईओ ने गंभीरता दिखाते हुए त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

अधिकारियों ने संभाली कमान

सीईओ के निर्देश पर एसीईओ प्रेरणा सिंह ने महाप्रबंधक ए.के. सिंह के नेतृत्व में वर्क सर्किल-3 की टीम को कार्रवाई के लिए भेजा। प्रभारी वरिष्ठ प्रबंधक राजेश कुमार निम, वरिष्ठ प्रबंधक विनोद कुमार शर्मा, प्रभात शंकर व रतिक, सहायक प्रबंधक राजीव मोटला और पुलिस बल की मदद से खसरा संख्या 1150 की जमीन को कब्जामुक्त कराया गया।

विकास की खुली राह

इस बड़ी कार्रवाई के साथ ही न सिर्फ 10 आवंटियों को उनका हक मिला, बल्कि लंबे समय से अटकी पड़ी सड़क और हरित पट्टी के निर्माण का रास्ता भी साफ हो गया है। इससे पूरे सेक्टर-2 के निवासियों को राहत मिलेगी।

कड़ी चेतावनी

एसीईओ प्रेरणा सिंह ने दो टूक कहा, “प्राधिकरण की अधिसूचित या कब्जा प्राप्त जमीन पर अवैध निर्माण या अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”


यह कार्रवाई न सिर्फ अवैध कब्जाधारियों के लिए चेतावनी है, बल्कि उन हजारों लोगों के लिए उम्मीद की किरण भी जो वर्षों से अपने हक की जमीन के लिए इंतजार कर रहे हैं।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की यह पहल शहरी विकास में पारदर्शिता और दृढ़ता की मिसाल बनती दिख रही है।

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