सूरजपुर बाराही मेले में चमका ‘कोहिनूर हीरा’ प्रलय किशोर

सूरजपुर बाराही मेले में चमका ‘कोहिनूर हीरा’ प्रलय किशोर, ‘घुंघरू बांध मीरा नाची’ पर झूम उठा मेला परिसर
समिति पदाधिकारियों ने की दिल खोलकर सराहना, कहा – “ऐसे कलाकार विरले होते हैं”

मौहम्मद इल्यास ‘दनकौरी’ / सूरजपुर

बाराही मेला-2025 के सांस्कृतिक मंच पर शनिवार की शाम भावनाओं, भक्ति और संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिला, जब हरफनमौला कलाकार प्रलय किशोर ने मंच पर अपनी प्रस्तुति दी। जैसे ही उन्होंने प्रसिद्ध भजन ‘घुंघरू बांध मीरा नाची थी’ गाना शुरू किया, मंच से लेकर पंडाल तक हर कोई संगीत के जादू में बंध गया। उनकी सुरीली और भावपूर्ण प्रस्तुति ने दर्शकों को झूमने और भाव-विभोर होने पर मजबूर कर दिया।

प्रलय किशोर की पहचान सिर्फ एक गायक के रूप में नहीं, बल्कि ऐसे कलाकार के रूप में है जो हूबहू कुमार सानू और किशोर कुमार जैसी आवाज़ में गाने की दुर्लभ कला में माहिर हैं। उनकी प्रस्तुतियों ने सांस्कृतिक मंच को एक यादगार शाम में तब्दील कर दिया।

शिव मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी ने उन्हें ‘कोहिनूर हीरा कलाकार’ की संज्ञा देते हुए कहा, “प्रलय किशोर की गायकी न केवल कानों को मधुर लगती है, बल्कि आत्मा को भी सुकून देती है।”

समिति के अन्य पदाधिकारियों ने भी प्रलय किशोर की सराहना करते हुए अपने उद्गार प्रकट किए—

महामंत्री ओमवीर बैसला ने कहा, “प्रलय किशोर जैसे कलाकार विरले होते हैं। उनकी आवाज़ में ऐसा अपनापन है कि श्रोता अनायास ही जुड़ जाते हैं। उनकी प्रस्तुति अध्यात्म से परिपूर्ण थी।”

कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल ने कहा, “सांस्कृतिक मंच की गरिमा प्रलय किशोर जैसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार से और भी बढ़ जाती है। उनकी प्रस्तुति ने सुनहरे संगीत युग की झलक दी।”

मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने कहा, “प्रलय किशोर केवल एक गायक नहीं बल्कि सजीव अभिव्यक्ति हैं। ‘घुंघरू बांध मीरा नाची थी’ जैसी प्रस्तुति में उनकी साधना झलकती है।” कार्यक्रम में आगे चलकर ‘तुझे देखा तो ये जाना सनम’, ‘चांद सी महबूबा हो मेरी’ जैसे प्रसिद्ध गीतों की भी प्रस्तुतियाँ दी गईं, जो श्रोताओं की जुबान पर देर रात तक बनी रहीं। बाराही मेला, जो वर्षों से धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक विविधता और लोक परंपराओं का जीवंत मंच रहा है, इस वर्ष प्रलय किशोर की प्रस्तुतियों से और भी अधिक गरिमामय बन गया।

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