हर दिन महिला दिवस है, यदि हम महिलाओं का सम्मान करें

महिला दिवस के अगले दिन ,मैंने जो देखा!

आर्य सागर खारी

ग्रेटर नोएडा में मैंने देखा कि एक रास्ते पर हल्का सा ट्रैफिक जाम था, दोनों और से आमने-सामने गाड़ियां खड़ी हो गई । एक गाड़ी में दो युवक सवार थे जैसे ही उनकी गाड़ी के पास से एक युवती स्कूटी लेकर निकलती है तो सामने से गलत तरीके से आने वाली गाड़ी का मार्ग अवरूद्ध हो जाता है, यह देखकर दोनों युवको में से एक युवक आवेशित होते हुए युवती से कहता हैं– “इसको बहुत जल्दी है, जैसे इसके पापा की सड़क हो”।

युवती भी प्रतिउत्तर में कहती है– हां जल्दी है आप मेरी इमरजेंसी नहीं समझ सकते। युवती का लेहजा बेहद शालीन था लेकिन दोनों युवकों का व्यवहार बहुत उद्दंड था। मामला यहीं नहीं रुका फिर दूसरा युवक बोला जो पहले मौन था -“हां हम जानते हैं तुम्हें क्या इमरजेंसी है”?

अभी  हमने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया तमाम देशभर में इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं प्रायः महिला संगठन ही कार्यक्रमों को आयोजित करते हैं । मनु के इस देश में जहां महिलाओं को मंगल अवसर पर प्रथम पूजनीय माना गया है पारिवारिक व सामूहिक भोज में भी प्रथम भोजन महिलाओं को ही दिया जाना चाहिए यह मनु ने कहा है इतना ही नहीं राजमार्ग या आम रास्ते पर पर प्रथम रास्ता स्त्री को ही देना चाहिए मनु लेडिस फर्स्ट के सबसे बड़े हिमायती थे। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत पश्चिमी समाज में की गई जहां 20वीं शताब्दी तक महिलाओं की बहुत देनीय स्थिति रही जहां उन्हें कहीं वोट देने का अधिकार नहीं था तो कहीं कोर्ट में गवाही देने का अधिकार नहीं था तो कहीं वह यूनिवर्सिटी कॉलेज में शिक्षा अर्जित नहीं कर सकती थी, बहुत सी महिलाओं ने चोरी चुपके अपनी शिक्षा अर्जित की वहीं भारत में ऐसा कुछ नहीं रहा लेकिन आज का जो भारत है महिलाओं के सम्मान की दृष्टि से बेहद शर्मनाक व चिंताजनक है । भारत जिसमें कभी चाणक्य ने कहा था कि पराई स्त्री को माता के समान व पराए धन को मिट्टी के समान जाने आज वहां स्त्री को माल समझा जाता है कोई महिला यदि आत्मनिर्भर होती है तो उसे वाहियात बदचलन घोषित करने की प्रवृत्ति देखी जाती हैं। युवतीयो के लिए ‘पापा की परी’ जैसा व्यंगात्मक स्लैंग प्रयोग किया जाता है । इंस्टाग्राम पर महिलाओं को टारगेट कर व्यंगात्मक आपत्तिजनक रील पोस्ट की जाती हैं। वहां यदि महिला दिवस मनाया जाता है तो यह सदी का सबसे बड़ा नागरिक मिथ्याचार है । ऐसी घटनाएं महज ग्रेटर नोएडा जैसे तेजी से उभरते हुए शहरों की नहीं है देश के सभी शहरों में महिलाओं को लेकर ऐसी ही मानसिकता है । हर दिन महिला दिवस है, यदि हम महिलाओं का सम्मान करें।

लेखक:- आर्य सागर खारी,सूचना का अधिकार कार्यकर्ता , सामाजिक चिंतक और विचारक हैं।

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