
‘ग्रेटर ईपीसीएच के लिए मंथन’ में विचार-विमर्श के दौरान भारतीय हस्तशिल्प उद्योग के अग्रणी व्यक्तियों ने ‘विज़न 2035’ का खाका तैयार किया

भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री जितिन प्रसाद; उत्तर प्रदेश सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, हथकरघा और वस्त्र मंत्री राकेश सचान सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने मेले का भ्रमण किया

अजय शंकर मेमोरियल पुरस्कार के अंतर्गत उत्कृष्ट स्टैंड डिज़ाइन और डिस्प्ले के लिए 14 श्रेणियों में विजेताओं को सम्मानित किया गया

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ ग्रेटर नोएडा
इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे में 13 से 17 अक्टूबर तक आयोजित 60वां आईएचजीएफ दिल्ली मेला – ऑटम 2025 पूरे उत्साह और भव्यता के साथ जारी है। इसमें विदेशी खरीदारों, क्रय एजेंसियों, प्रतिनिधियों और घरेलू थोक विक्रेताओं की बढ़ती भागीदारी देखी जा रही है।
बीते चार दिनों में भारत के लगभग सभी प्रमुख निर्यात बाजारों से खरीदारों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। नए व्यापारिक संबंध बन रहे हैं और पुराने संबंध पुनर्जीवित हो रहे हैं। कई ऑर्डर पूरे हो चुके हैं, जबकि कुछ पर शो के बाद की बातचीत चल रही है।
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (EPCH) के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने बताया कि आज “ग्रेटर ईपीसीएच के लिए मंथन” कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह एक अत्यंत ऊर्जा से भरा इंटरैक्टिव सत्र था जिसमें सदस्य निर्यातकों, खरीदारों और उद्योग से जुड़े अन्य हितधारकों ने भाग लिया।
इसका उद्देश्य “ईपीसीएच विज़न 2035” तैयार करना था, जिसमें नए बाजारों, उत्पाद श्रेणियों, डिजिटल सक्षमता, स्थायित्व, लॉजिस्टिक्स और वित्तीय सशक्तिकरण पर फोकस किया गया।
उन्होंने बताया कि थिंक टैंक में डॉ. राकेश कुमार (मुख्य संरक्षक व आईईएमएल अध्यक्ष), उपाध्यक्ष सागर मेहता, मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल, आईएचजीएफ दिल्ली फेयर ऑटम’25 के अध्यक्ष रजत अस्थाना सहित पूर्व अध्यक्षों राज के मल्होत्रा, ओ.पी. प्रहलाड़का, लेखराज महेश्वरी, डी. कुमार, अरविंद वधेरा आदि ने भाग लिया और उद्योग के भविष्य पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

ईपीसीएच के महानिदेशक व आईईएमएल अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा,
“यह भारतीय हस्तशिल्प निर्यात क्षेत्र ही नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार के लिए भी निर्णायक समय है। हमारा लक्ष्य मौजूदा 3.9 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 9 बिलियन डॉलर निर्यात तक पहुंचना है। यह तभी संभव है जब युवा पीढ़ी आगे आए और ‘क्लस्टर++ मॉड्यूल’ के माध्यम से विकेंद्रीकृत विकास की दिशा में कदम बढ़ाए।”
ईपीसीएच उपाध्यक्ष सागर मेहता ने कहा,
“आज का दिन अत्यंत प्रेरणादायक रहा। केंद्र व राज्य सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी और मंत्री उपस्थित रहे। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन किया, प्रदर्शकों की सराहना की और ईपीसीएच को इस ऐतिहासिक संस्करण की सफलता पर बधाई दी।”
उन्होंने बताया कि अजय शंकर स्मृति पुरस्कार समारोह में “बोथरा इंटरनेशनल, जोधपुर” को उद्योग एंबेसेडर और करण पटेल को “नेक्स्ट-जेन युवा उद्यमी” श्रेणी में सम्मानित किया गया।
ईपीसीएच के मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल ने बताया कि आज हरियाणा और पंजाब उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति मंजरी नेहरू कौल, प्रियदर्शिनी कौल, नित्या नागू; राज्यसभा सांसद मिथलेश कुमार कटारिया; भारत सरकार की वस्त्र मंत्रालय सचिव नीलम शमी राव; ऑल इंडिया एंटी टेररिस्ट फ्रंट के अध्यक्ष मनिंदरजीत सिंह बिट्टा सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने मेले का भ्रमण किया और प्रदर्शित उत्पादों की उत्कृष्टता की सराहना की।
आईएचजीएफ दिल्ली मेला–ऑटम 2025 के अध्यक्ष रजत अस्थाना ने बताया कि आज का सेमिनार
“बेस्ट प्रैक्टिसेज यूज्ड बाय अदर कॉम्पेटिटिव मार्केट्स एंड हाउ टू अडॉप्ट टेक्नोलॉजी फॉर कटिंग कॉस्ट्स” विषय पर केंद्रित रहा।
इसमें उद्योग विशेषज्ञों ने गुणवत्ता नियंत्रण, ऊर्जा दक्षता, लॉजिस्टिक्स और स्थायित्व पर आधारित रणनीतियों को साझा किया।
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि इस मेले में रचनात्मक डिस्प्ले के आधार पर प्रदर्शकों को 10 श्रेणियों में सम्मानित किया गया।
अजय शंकर स्मृति पुरस्कार लैम्प्स, लाइटिंग, होम टेक्सटाइल, फैशन ज्वेलरी, डेकोरेटिव गिफ्ट्स, बाथरूम एक्सेसरीज़, एरोमैटिक्स, हैंडमेड पेपर और सस्टेनेबल उत्पाद श्रेणियों में प्रदान किए गए।
पी. एन. सूरी स्मृति पुरस्कार हाउसवेयर, टेबल डेकोर और फर्नीचर श्रेणियों में दिए गए।
उन्होंने कहा कि “ये पुरस्कार हमारे प्रदर्शकों के लिए प्रेरणा हैं, विशेष रूप से नए और युवा प्रतिभागियों के लिए।”

ईपीसीएच, भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के तहत एक नोडल संस्था है जो भारतीय हस्तशिल्प को विश्व बाजारों में बढ़ावा देने और भारतीय कारीगरों की सृजनात्मकता को वैश्विक मंच प्रदान करने का कार्य करती है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान भारत का कुल हस्तशिल्प निर्यात 33,123 करोड़ रुपये (3,918 मिलियन डॉलर) दर्ज किया गया।